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जिस देश में गंगा बहती है। 

होठों पे झुठाई रहती है जहा दिल में बेवफाई रहती है 
हम उन लोगो के सांई है जिनकी हवस से गंगा मैली है।

 

ईमान जो हमारा होता है वो पैसे का बेचारा होता है 
ज्यादा की नही लालच हमारा थोडेमे सौदा खुदका होता है 


चाहे मरे फिर दम तोड़ के, हर जरुरत पे किस्मत रोती है। 

हम उस देश के वासी है जहाँ हर घाट पे गंगा बिकती है। 

कुछ लोग जो कम जानते है वो धर्म ज्यादा पहचानते है 
आंके बातोमे कायरोकी फिर इंसानीयत की सिमा लांघते है 


ज्ञानी बुद्धि जो सब समझती है वो मोमबत्ती की भाषा बोलती है 

हम उस देश के वासी है जहाँ हर रोज गंगा मरती है। 

जो रंग जिस से मिला अपनाया हमने, बदले अपना अमूल्य काला बिंदु गवाया है 

सेवको को सर पे चढ़ाकर हमने अपना मालिक किसी और को बनाया है

 
अपनेही हक़ को बेचके हमने अपनीही अरथी उठाई है 

हम उस देश के वासी है जिस देश की गंगा सहती है !

यतिंद्र - २०१७

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