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प्रतिमा 

 

मेरी मुझमे एक 

मेरी तुझमे अलग 

मेरी उनमे अलग अलग

न जाने कितनी ..

 

कितनी सच्ची

कितनी झुठी 

किसकी कौनसी क्या …

मेरी.. तुम्हारी .. उनकी .. या ..

 

खुदको खुदसे समझती

कभी तुझसे समझती

कभी उनसे 

प्रतिमाकी प्रतिमा बनती 

 

मेरी मुझमे कितनी ? 

मेरी तुझमे कितनी ??

मेरी सबमे कितनी ??? 

दिमाग या दिल जितनी ????

 

पशुआो मे भी मेरी ..

पेडो मे भी ? 

पत्थरों मे भी ? 

मुकद्दरो की सांसो मे भी ? 

 

ये रंगरूप बदलते है 

या मेरी दृष्टी ..

मै सिर्फ मै हु या 

मुझमे सारी सृष्टी ..

 

पलभर हू या 

शायद अनंत 

खुफिया हु या 

शायद बहरुपिया … 

 

सिर्फ … प्रतिमा हु मै …

 

- यतिंद्र २०१८

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